भारत जैसे देशों में लाखों ड्राइवर टैक्सी और कैब सेवाओं से जुड़े हुए हैं, और कार चलाना कई लोगों की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। हालांकि, जब ड्राइवर की कमी होती है, तो यह सेवा और रोजगार दोनों पर प्रभाव डालता है।
जापान में घटती ड्राइवर संख्या
वर्तमान में, जापान एक महत्वपूर्ण समस्या का सामना कर रहा है: ड्राइवरों की संख्या में लगातार कमी। जापान, जो कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इस स्थिति से जूझ रहा है। देश की घटती जनसंख्या और बढ़ती उम्र की समस्या ने ड्राइवरों की कमी को और गहरा कर दिया है। 2021 में जापान की जनसंख्या वृद्धि दर -0.5% थी, जो जनसंख्या के घटने की ओर इशारा करती है। इसके साथ ही, ड्राइविंग के लिए उम्र सीमा तक पहुंच चुके ड्राइवरों की रिटायरमेंट भी समस्या को बढ़ा रही है।
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निसान की ड्राइवरलेस कार की पहल
इस समस्या का समाधान खोजने के लिए जापान तकनीक की ओर देख रहा है। निसान, एक प्रमुख कार निर्माता, ने सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक से लैस कारों को लॉन्च करने की योजना बनाई है। कंपनी 2027 में अपनी पहली ऑटोनोमस कार लॉन्च करने का लक्ष्य रखती है और इसके लिए योकोहामा शहर में टेस्टिंग शुरू कर दी है। निसान ने सुरक्षा और विनियमन के मुद्दों पर सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत की है ताकि ड्राइवरलेस कारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
खुबियां
सेल्फ-ड्राइविंग कारों का परीक्षण और उपयोग बढ़ते हुए दिख रहा है, और जापान में इनकी आवश्यकता अन्य विकसित देशों की तुलना में अधिक महसूस की जा रही है। निसान रिसर्च एंड एडवांस इंजीनियरिंग के वाइस प्रेजिडेंट खजुहीरो डोई ने इस ओर संकेत दिया है कि जापान में टैक्सी और बस सेवाओं को बुढ़ापे की समस्या के कारण पहले ही प्रभावित किया जा चुका है। भविष्य में, जब ड्राइवरों की संख्या और भी घटेगी, तब तकनीकी समाधानों की अहमियत और भी बढ़ जाएगी।
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